Sunday, October 10, 2010

संघर्षरत जनता के साथी थे शिवराम: जेयूसीएस

रंगकर्मी, साहित्यकार और वामपंथी नेता शिवराम को श्रद्धांजली

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर। प्रसिद्ध रंगकर्मी, साहित्यकार और मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड) के पोलित ब्यूरो सदस्य शिवराम के आकस्मिक निधन पर जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसायटी (जेयूसीएस) अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता है। राजस्थान के कोटा के रहने वाले शिवराम ने अपना पूरा जीवन मजदूर आंदोलनों और नाट्यकर्म को समर्पित कर दिया था। उनका निधन संघर्षरत आमजन के लिए अपूर्ण क्षति है।
सरकारी दूरसंचार कम्पनी में रामगंज मंडी  से बतौर इंजीनियर अपना व्यक्तिगत और राजनैतिक कैरियर शुरू करने वाले शिवराम ने उद्योगनगरी कोटा में कई मजदूर आंदोलनों का नेतृत्व किया। पहले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) से अलग होने का कारण भी उनका मजदूर आंदोलनों से दलाली करने वालों को अलग-थलग करना था। 1980 में जब सीपीएम से अलग एमसीपीआईयू के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई तो शिवराम उसके अग्रणी नेताओं में से थे। फिलहाल वह एमसीपीआईयू के पोलित ब्यूरो में शामिल थे।
एक आंदोलनकारी से अलग शिवराम को देश में नुक्कड़-नाटकों के जन्मदाता के बतौर भी जाना जाता है। उन्होंने सफदर हाशमी से पहले ही मजदूरों के लिए लिखे गए नाटक ‘जनता पागल हो गई है’ से नुक्कड़-नाटकों की परम्परा शुरू की। आपातकाल के दौरान यह नाटक देशभर में कई स्थानों पर खेला गया, जो अभी भी जारी है। साठ से अधिक उम्र हो जाने के बाद भी शिवराम अभी भी नाटकों में अभिनय व निर्देशन करते थे। उन्होंने कई नाटक लिखे भी जिसमें 'जनता पागल हो गई है’, ‘जमीन’, घुसपैठिए (नाटक संग्रह), दुलारी की माँ (नाटक), एक गाँव की कहानी (नाटक), राधेया की कहानी (नाटक), सूली ऊपर सेज (सेज पर विवेचनात्मक पुस्तक), पुनर्नव (नाट्य रूपांतर संग्रह), गटक चूरमा (नाटक संग्रह), माटी मुळकेगी एक दिन (कविता संग्रह), कुछ तो हाथ गहो (कविता संग्रह), खुद साधो पतवार (कविता संग्रह) शामिल है.
शिवराम सदैव युवाओं को प्रोत्साहित करने वाले व्यक्तित्व थे। उनके निर्देशन में काम किए कई रंगकर्मी आज अपनी अलग पहचान रखते है। सीधे-सरल व्यक्तित्व शिवराम वैचारिक रूप से दृढ़ मार्क्सवादी थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन जनता के संघर्षों को समर्पित कर दिया। जेयूसीएस उन्हें अपनी श्रद्धांजली अर्पित करता है।


द्वारा -
शाह आलम, विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव, अवनीश राय, देवाशीष प्रसून, अरुन कुमार उरांव, प्रबुद्ध गौतम, विवके मिश्रा, दीपक राव, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, प्रवीण मालवीय, प्रकाश, अंशुमाला सिंह, मुकेश चौरासे, राजलक्ष्मी शर्मा, उपेन्द्र, दिलीप, शीत मिश्रा, श्वेता सिंह, राकेश, गुफरान, अली, शिप्रा, दीपिका, वेदप्रकाश मौर्य व अन्य साथी।
 

शिवराम की कविता
शिवराम की कविता

Saturday, October 9, 2010

मजदूर आंदोलन की खबरों का क्यों बाईकाट कर रहे हैं अखबार: JUCS

जर्नलिस्ट यूनियन फॉर सिविल सोसाइटी हिंडालको के संविदा मजदूरों के आंदोलन की इस प्रेस विज्ञप्ति को जारी करते हुए इस क्षेत्र के प्रमुख समाचार पत्रों दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, अमर उजाला, राष्ट्ीय सहारा और आज के प्रमुख संपादकों से यह सवाल करती है कि मजदूर आंदोलन की इस खबर को क्यों उन्होंने अपने समाचार पत्रों में जगह नहीं दी। इस मजदूर आंदोलन की खबर न छापने के स्थानीय पत्रकारों ने जनांआदोलन के नेताओं को जो तर्क दिया वह था 'पत्रकारों के साथ अभद्रता की गयी। इस अभद्रता के लिए मजदूरों ने लिखित माफी भी मांगी। यहां JUCS यह सवाल करता है कि अगर आपके साथ अभद्रता की गयी तो इसके लिए आप कानूनी कार्यवाई में जाएंगे न कि खबरों का बाईकाट करेंगे और वो भी मजदूर आंदोलन की। सूचना को आम जनता तक पहुंचाना पत्रकारों और अखबारों का काम है, इस जवाबदेही से समाचारपत्र भाग नहीं सकते उन्हंे जवाब देना ही होगा। JUCS की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि अखबारों के पत्रकारों के सहारे जनांदोलन को कमजोर करने का प्रयास प्रशासन कर रहा है। ऐसे में हम इस पूरे घटना क्रम को देखते हुए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से मांग करते हैं कि वह इस मसले पर तत्तकाल हस्तक्षेप करे, क्योंकि प्रशासन द्वारा पत्रकारों का अपने हित में और जनांदोलनों को कमजोर करने के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।
द्वारा: शाहनवाज आलम, राजीव यादव, विजय प्रताप, शाहआलम, ऋषि कुमार सिंह, अवनीश राय, अंशु माला सिंह, तारिक शफीक, हरे राम मिश्रा, मसीहुद्दीन संजरी।
मो0: 09415254919, 09452800752

हिण्डालको में मजदूरों का आंदोलन जारी

जिलाधिकारी की अपील पर 6 अक्टूबर को हिण्डालको के संविदा मजदूरों ने अपने आन्दोलन को स्थगित कर दिया था। इस वार्ता में उन्होंने आन्दोलनरत मजदूरों के प्रतिनिधियों को आष्वासन दिया था कि दो दिन के अन्दर उपश्रमायुक्त पिपरी के यहाँ वार्ता आयोजित कर संविदा मजदूरों की लंम्बित समस्याओं का समाधान कराया जायेगा और किसी भी मजदूर का उत्पीड़न, उसकी छटंनी नहीं की जायेगी तथा मजदूरों पर लादे गये मुकदमों सहित 4 अक्टूबर को हुयी घटना की जांच पुलिस द्वारा करायी जायेगी और जांच के उपरान्त ही कोई कार्यवाही होगी। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में जारी पंचायत चुनाव को देखते हुए प्रषासनिक व्यवस्था, कानून व्यवस्था के कारण तात्कालिक रूप से हम लोग आन्दोलन को स्थगित करें और पंचायत चुनाव के बाद इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र के संविदा श्रमिकों की समस्याओं के निस्तारण के लिए वह स्वयं विभिन्न औद्योगिक इकाइयों के प्रबन्ध तंत्र व संविदा मजदूरों के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता की पहल करेगें। उनके इस आष्वासन के बाद राष्ट्रहित, प्रदेषहित व उद्योगहित को देखते हुए हमने अपने आन्दोलन को स्थगित किया। लेकिन बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आन्दोलन समाप्ति के बाद प्रबन्ध तंत्र ने संविदा मजदूरों का जबरदस्त उत्पीड़न करना शुरु कर दिया है। लगभग 200 से भी ज्यादा मजदूरों को काम से निकाल दिया गया है। संचार क्रांति के इस युग में संविदा मजदूरों के मोबाइल को फैक्ट्री के अन्दर ले जाने पर रोक लगा दी गयी है, मजदूरों से हिण्डालको सुरक्षा कर्मियों द्वारा जबरन गेट पास छीना जा रहा है। मजदूर नेताओं और उनके प्रतिनिधियों की घेराबन्दी शुरु कर दी गयी। हमारे द्वारा 4 अक्टूबर को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर जिसमें पत्रकारों के साथ कथित दुव्यर्वहार की बात पर खेद प्रकट करने के बाद भी हिण्ड़ालको के इषारे पर पत्रकारों की तरफ से प्रषासन व पुलिस ने संविदा श्रमिकों के नेताओं पर मुकदमा कायम कराया। हमने इस स्थिति से बार-बार प्रषासन-प्रबन्ध तंत्र को अवगत कराया पर मजदूरांे के उत्पीड़न को रोकने की दिषा में कोई कार्यवाही नहीं हुई। दरअसल प्रषासन का यह रुख बेहद गैर जवाबदेह और लापरवाह है, इससे मजदूरों में गहरा आक्रोष है और रेणुकूट में यह एक बहुत ही बड़े तनाव को जन्म दे रहा है। है। यह बातें रेनूकूट में आयोजित पत्रकार वार्ता में मजदूर नेताओं ने प्रेस से कही। पत्रकार वार्ता में जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर, श्रम संविदा संघर्ष समिति के अध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल सिंह, प्रगतिषील मजदूर सभा के अध्यक्ष द्वारिका सिंह, मजदूर मोर्चा के संयोजक राजेष सचान, कांग्रेस पीसीसी सदस्य बिन्दू गिरि, ठेका मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल ने सम्बोधित किया।

मजदूर नेताओं ने कहा कि हिण्ड़ालकों से लेकर अनपरा, ओबरा, रेनूसागर, लैकों, सीमेन्ट, कोयला व बिजली की औद्योगिक इकाईयों में हजारों की संख्या में काम कर रहे संविदा श्रमिक निर्मम शोषण के षिकार है। एक ही कार्यस्थल पर बीस-पचीस वर्षो से कार्यरत रहने के बावजूद उन्हे नियमित नही किया जाता। उन्हे न्यूनतम मजदूरी तक नही दी जाती है। कानूनी प्रावधान होने के बाद भी हाजरी कार्ड, वेतन पर्ची, रोजगार कार्ड, बोनस, डबल ओवर टाइम, सार्वजनिक अवकाष नहीं दिया जाता है। यहां तक कि इपीएफ की कटौती के बावजूद उसकी कोई रसीद नही दी जाती है। इतना ही नही यदि कोई मजदूर अपनी जायज मांग को उठाता है तो उसे बिना किसी नियम कानून की परवाह किए काम से ही निकाल दिया जाता है। यही नही आपने खुद देखा कि अपनी उन मांगों पर, जिनके बारें में हिण्ड़ालको प्रबंधन यह कहता रहता है कि हम इन्हे दे रहे है, को मांगने पर मजदूरों के ऊपर बर्बर लाठीचार्ज किया गया। कई मजदूरों के लाठियों व राड से मार कर हाथ पैर तोड़ डाले गए। वही इन समस्याओं और इन्हे उठाने वाले लोकतांत्रिक आंदोलनों के प्रति शासन-प्रषासन एवं प्रबंधतंत्रों का रूख बेहद गैरजबाबदेह और लापरवाह बना रहता है। मजदूरों को हड़ताल जैसी कार्यवाहियों के लिए मजबूर किया जाता है। स्थिति इतनी बुरी है कि इन हड़तालों के बाद हुुए समझौतों का अनुपालन नही होता है।

इसलिए जिला प्रषासन की वादा खिलाफी, गैर जबाबदेही के विरुद्ध अपनी समस्याओं के समाधान के लिए मजदूरों ने कभी भी हड़ताल पर जाने की नोटिस कल जिलाधिकारी व उप श्रमायुक्त को दी हैं। पत्रकार वार्ता में मेहंदी हसन, अजीम खाँ, चन्दन, नसीम, प्रदीप, मारी (सभासद गण), नौषाद, राजेष कुमार राय, राम अभिलाख, सुमन झा, रामजी वर्मा, धर्मेन्द्र, महेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे ।